मौसम ने बदला मिजाज, बौर से लदे आम की फसल को भारी नुकसान की आशंका, बागवान चिंतित

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कायमगंज / फर्रुखाबाद, 17 मार्च 2023

वसंत ऋतु का आगमन होते ही आम के पेड़ों पर बौर आना शुरू हो गया था। लगभग मौसम अब तक सही रहा । जिसके चलते आम के बागों में खड़े पेड़ों पर इस बार पिछली की अपेक्षा काफी अच्छा बौर आया। पेड की डालो पर मंजरी खिली हुई बहुत ही सुंदर और घनी दिखाई दे रही थी। जिसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस साल आम की फसल काफी अच्छी रहेगी। लेकिन एकाएक 2 दिन से मौसम का मिजाज बदलने लगा। आसमान में काले घुमडते हुए बादल और तेज हवाओं से पेड़ों की मंजरी से बौर के गुम्फे हिलने लगे।झोकेदार हवा बौर को हिला कर तोड़ना शुरू कर दिया है। जिससे डाल पर लगा बौर टूट -टूट कर बिखरने लगा। इतनी बड़ी मात्रा में जमीन पर गिर रहे बोर के कारण पेड़ की मंजरी उजडने लगी। पेड़ से बौर गिरने के कारण अब आम की फसल को भारी नुकसान की आशंका बनती जा रही है। साथ ही कभी-कभी आसमान से हल्की-फुल्की बूंदाबांदी भी बागों में फंगस पैदा करने लगी है। फंगस के कारण भी आम की फसल कम होने के आसार बनते जा रहे हैं। फलों का राजा कहे जाने वाले आम के उत्पादन के लिए तहसील कायमगंज काफी अच्छा और उपयुक्त तथा मशहूर क्षेत्र माना जाता है ।यहां का दशहरी आम तथा चौसा टिकारी गोपाल भोग फजली जैसी प्रजाति के आम के फल दूर-दूर तक की मंडियों में भेजे जाते हैं । वैसे तो आम के लिए लखनऊ परिक्षेत्र का मलिहाबाद क्षेत्र भी पूरे देश में अपना स्थान रखता है। लेकिन भले ही वहां मलिहाबाद में आम का उत्पादन अधिक होता हो लेकिन मौसम तथा जमीन की उर्वरा क्षमता जैसे विशेष गुणों के कारण कायमगंज क्षेत्र का आम मलिहाबाद की अपेक्षा सरस और काफी अधिक मिठास वाला होता है। इसका यही गुण उपभोक्ताओं तथा कारोबारियों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। आम के पेड़ों पर खिली मंजरी और बौर के गुच्छे जो काफी घने स्वस्थ्य अच्छे दिखाई दे रहे हैं। उन पर मौसम की मार कहर बनकर टूट रही है। इस बार मार्च के महीने में मौसम ने अचानक 2 दिन से करवट बदली है। जिसके चलते आम की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। बाग मालिक कुबेरपुर निवासी मंगल सिंह ने बताया की बदले हुए मौसम के चलते आम का बौर अचानक झडने लगा है ।जबकि इसकी रोकथाम के लिए 25 से ₹30000 तक की दवाओं का छिड़काव पहले ही कराया जा चुका था। लेकिन अचानक मौसम में बदलाव आया है । जिसकी वजह से अचानक फिर एक बार बौर झड़ रहा है । जब पेड़ों की डालो पर से बौर ही झड़ जाएगा तो उत्पादन प्रभावित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। जैसे हालात में बागान मालिक तथा बागवान एवं इससे जुड़े कारोबारी सभी काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं । उनका कहना है कि एक बार रोकथाम के लिए दवाओं का छिड़काव कराया जा चुका है। अब दोबारा दवा का छिड़काव कैसे होगा। क्योंकि यह कराना भी तो जहां एक ओर महंगा है, वहीं दूसरी ओर लागत बढ़ जाएगी और सबसे अधिक चिंता का विषय बहुत अधिक दवाओं का प्रयोग भी फसल उत्पादन को प्रभावित करता है ।जिससे आम की पैदावार के साथ ही फल का आकार और उसकी मिठास बिना कुप्रभावित हुए नहीं रह सकती है। परंतु क्या किया जाए। मौसम तो प्रकृति की चाल पर ही निर्भर करता है। मौसम का मिजाज सुधारने के लिए लोग आसमान की ओर देखकर ईश्वर से ही प्रार्थना कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त और कोई चारा भी तो नजर नहीं आता है।
ब्यूरो रिपोर्ट= जयपाल सिंह यादव, दानिश खान

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