Kaimganj news –दुर्दशा ग्रस्त नहर टेल तक नहीं पहुंचता पानी, किसान परेशान, सिंचाई विभाग मस्त

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Kaimganj news – कई जगह बनाए पक्के अवरोध तो जगह-जगह मिट्टी और कूड़े के लगे नहर की बीच धार में ढेर पानी का प्रभाव हो रहा बाधित
– सफाई के नाम पर केवल खानापूरी करके आए लाखों के सरकारी बजट का हो जाता है बंदरबांट
कायमगंज / फर्रुखाबाद, 12 अगस्त 2023
वैसे तो सिंचाई ट्यूबवेल ,निजी ट्यूबवेल ,समरसेबल तथा पंपिंग सेट आदि माध्यमों से भी की जाती है।

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परंतु सिंचाई का प्रमुख माध्यम नहर ही है ।क्योंकि नहर द्वारा बहुत बड़े भूभाग की फसलों को पानी उपलब्ध होता है। वही नहर का पानी अन्य स्रोतों की अपेक्षा महंगा भी नहीं होता । आसानी से सिंचाई हो जाती है। यह सपना था, कभी पहले। लेकिन अब सिंचाई विभाग की उदासीनता व लापरवाही तथा प्रशासन की अनदेखी के चलते नहर की सिंचाई भी किसानों को समय से और सही ढंग से करने की सुविधा उपलब्ध होना अब एक सपना सा बन गया है।

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बता दें कि जनपद फर्रुखाबाद से होकर निकली निचली गंग नहर साख फतेहगढ़ जो कभी नरोरा डिवीजन गंगा नहर शाखा के नाम से नरोरा से लेकर फर्रुखाबाद तक प्रमुख सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा नियंत्रित की जाती थी। समय के साथ ही इस नहर को दो डिवीजन में बांटकर दूसरी डिविजन अलीगढ़- फर्रुखाबाद के नाम से बना दी गई। कंट्रोलर अधिकारी भी उसी के अनुसार दो बनाए गए, फिर एक बार सुविधा के नाम पर इसका विभाजन किया गया और इसी गंगा नहर को तीसरी डिवीजन में ,जो फर्रुखाबाद -फतेहगढ़ निकली गंग नहर शाख फतेहगढ़ के नाम से बनाई गई ।

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लेकिन व्यवस्थाएं धीरे-धीरे चौपट होती गई ।वर्तमान की फर्रुखाबाद डिवीजन जनपद फर्रुखाबाद के सीमावर्ती जिला एटा के गांव विजयपुर से शुरू होकर जनपद फर्रुखाबाद के गांव खिनमिनी तक लगभग 65 किलोमीटर की लंबाई में फैली हुई है। लेकिन इस गंग नहर शाखा की सफाई जो कभी पहले हुआ करती थी। वैसे नहीं हो रही है। यही कारण है कि टेल तक पानी ही नहीं पहुंच पा रहा है। भले ही बहुत अधिक वर्षा होने के समय पानी का बहाव तेज होने के कारण एक-दो दिन के लिए जब टेल तक पानी पहुंच जाता है। तो उसका वीडियो बनाकर विभागीय अधिकारी शासन को फर्जी रिपोर्ट अपनी वाहवाही के लिए भेज देते हो ।

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संभवत ऐसा करते भी हैं। लेकिन वास्तव में टेल तक पानी पहुंचना अब केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है । वास्तव में नहर की मुख्य शाखा के साथ ही इससे निकले रजवाहों एवं माइनरों में भी पानी टेल तक नहीं पहुंच पा रहा है। जिसके लिए समुचित सफाई व्यवस्था का ना होना ही एकमात्र कारण माना जा रहा है। भले ही व्यवस्था देखने वाले नहर तथा उसकी शाखाओं की सफाई भली-भांति होने का दावा करते हुए फर्जी ढंग से रिपोर्ट शासन को भेजकर आए हुए धन का बंदरबांट करने में सफल हो जाते हैं । लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

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इनसेट:-
*नहर की मुख्य धारा में उगी खड़ी झाड़ियां तथा लगे कूड़े कचरे व मिट्टी के ढेर*
निचली गंगा नहर शाख फतेहगढ़ -फर्रुखाबाद की मुख्य जलधारा के बीच में एक जगह नहीं अनेकों स्थानों पर नहर के बीच में झाड़ियां उगी खड़ी हैं ,तो कहीं पर पानी के साथ वह कर आए कूडे कचरा का अंबार लगा हुआ है। इसी के ऊपर तथा आसपास मिट्टी का ढेर लग जाने के कारण पानी का बहाव बाधित होता है। यही हाल इस नहर से निकलने वाले छोटे तथा बड़े बम्बों का भी है। जिसकी वजह से इनके टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कुछ जगह तो देखरेख के अभाव में कानून व्यवस्था को आंखें तरेर कर कुछ लोगों ने नहर की बीच धार में पक्के आरसीसी के अवरोध बनाकर पानी की धारा को अपने उपयोग में आने वाले बंम्बे की ओर मोड रखा है। उदाहरण के लिए कंपिल क्षेत्र के गांव बरखेड़ा के सामने यहां से निकलने वाले बरखेड़ा बंबा के निकास स्थल पर ही पक्की दीवार बनाई गई है । जिसकी वजह से यहां से होकर आगे पानी सीमित मात्रा में ही जा पा रहा है। लेकिन जिम्मेदार विभागीय अधिकारी न जाने क्यों इस ओर आंख उठाकर भी देखना पसंद नहीं कर रहे हैं।
इनसैट:-
*गूलों का भी अब नहीं रहा पता:*
नहर अथवा बंम्बों में सिंचाई के लिए कुलावे लगाए गए, जिनकी विधिवत इंट्री राजस्व तथा नहर विभाग के अभिलेखों में भी है । इनसे होकर निकलने वाला पानी गूलों के माध्यम से खेतों तक पहुंचाया जाता है। पहले इन गूलों की देखरेख सिंचाई विभाग का सींचपाल (पतरौल)साल में कम से कम 2 बार मौके पर जाकर करता था। यदि कहीं पर किसी ने गूल की मेड काटी होगी तो उसे सही कराया जाता था और ऐसा करने वाले के विरुद्ध नोटिस जारी कर चेतावनी जारी की जाती थी। ऐसा करने से गूंलें सुरक्षित थी। लेकिन अब तो गूलों का ही पता नहीं है । इन्हें तोड़कर बहुत से लोग नेअपने खेतों में मिला लिया या फिर इनकी मेंड़े काटकर गूलों को वजूद हीन कर दिया है ।जैसी अनियमितताओं के चलते गूलों के द्वारा पानी ले जाकर सिंचाई करना संभव नहीं हो पा रहा है । वैसे ही दूसरी व्यवस्थाओं में हो रही अनियमितताओं के कारण बनी दुर्दशा की वजह से सिंचाई के लिए किसान तो परेशान है। लेकिन हर महीने लाखों रुपए वेतन के रूप में मोटी पगार लेने वाला नहर का सिंचाई महकमा मस्त दिखाई दे रहा है, न जाने कब सही ढंग से सफाई होगी और व्यवस्था सुधरेगी? यह कुछ कहा नहीं जा सकता।

ब्यूरो चीफ जयपाल सिंह यादव,दानिश खान

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