बूढ़ा पहाड़ की दुर्गम पहाड़ी पर पहुंचे मुख्यमंत्री द्वारा गई विकास की घोषणा से आतंक से जूझ रहे क्षेत्र के निवासियों को राहत मिलने की संभावना बढ़ी

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गढ़वा/ झारखंड (द एंड टाइम्स न्यूज़)
पिछले लगभग तीन दशक से*ऑपरेशन ऑक्टोपस, बुलबुल और थंडर,रेड टेरर* से बूढ़ा पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले निवासी विकास रहित जीवन व्यतीत करने को बेबस रहे। कहा जाता है कि इस बूढ़ा पहाड़ की दुर्गम चोटी के ऊपर तक जाने के लिए कोई उपयुक्त रास्ता नहीं है। यहां पहुंचना ही बेहद मुश्किल था। इसी का फायदा उठा कर खूंखार आतंकवादी अपना क्षेत्र में राज चलाते थे।

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उन्हीं की अदालत और उन्हीं का फैसला मानने को यहां का आदिवासी मजबूर रहा। इस दुर्गम क्षेत्र में जाने से पहले सरकार के अधिकारी पुलिस सौ बार सोचते थे। प्रयास करने पर भी उन्हें कभी सफलता नहीं मिली। लेकिन अर्धसैनिक बल (सीआरपीएक) ने 1 साल के लंबे अभियान के बाद इस क्षेत्र को आतंकवाद से मुक्त कर दिया और इसके बाद शुक्रवार वाले दिन यहां सरकार का अमला भी पहुंच गया। अब 22 साल बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पूरी मशीनरी के साथ इस जगह पर पहुंचे हैं और इस इलाके के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की योजनाओं का ऐलान किया है।बता दें कि बूढ़ा पहाड़ झारखंड में स्थित एक क्षेत्र है।

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झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 150 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित रहे लातेहार और गढ़वा जिलों के साथ स्थित बूढ़ा पहाड़ को 30 साल के बाद सुरक्षा बलों ने लाल आतंक से मुक्त कराया था।इस इलाके की सीमाएं झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से भी मिलती है।छत्तीसगढ़ में जब नक्सली खदेड़े जाते हैं तो वे इधर ही भागते हैं। नक्सलवाद से प्रभावित देश के 9 राज्यों के लगभग 60 जिलों के इलाकों को लाल गलियारा कहा जाता था।इन इलाकों में नक्सलियों के आतंक को ही लाल आतंक कहा जाता था।हाल के सालों में रेड टेरर का असर काफी कम हुआ है।
नक्सलियों का सुरक्षित मांद बन चुका बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए अप्रैल 2022 में स्थानीय पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने ऑपरेशन चलाया।सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच जबरदस्त भिड़ंत हुई।इस भिड़ंत में 14 नक्सली मारे गए थे।

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अधिकारियों के मुताबिक इस ऑपरेशन के दौरान 590 नक्सलियों ने या तो सरेंडर किया या फिर वे गिरफ्तार कर लिए गए। नक्सलियों के खिलाफ अप्रैल में शुरू हुआ ये मिशन सितंबर में पूरा हुआ। जब सीआरपीएफ ने इस पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करा दिया। बूढ़ा पहाड़ के इलाकों में कई बड़े इनामी नक्सलियों की सक्रियता रहती थी।इनमें 25 लाख के इनामी नक्सली कमांडर मारकुश बाबा उर्फ सौरभ , 15 लाख का इनामी छोटू खरवार ,नीरज खरवार ,रविंद्र गंझू है, जबकि, 10 लाख के इनामी मृत्युंजय भुइयां सहित कई बड़े नक्सलियों का बूढ़ा पहाड़ पनाहगाह बना हुआ था।

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मुफ्त कराए गए ऑपरेशन की जानकारी डी जी सीआरपीएफ ने देते हुए बताया कि क्षेत्रों से माओवादियों को सफलतापूर्वक निकालकर सुरक्षाबलों के स्थाई कैंप स्थापित किए गए हैं।गांव वालों में नक्सलियों का खौफ न हो इसलिए सीआरपीएफ ने इस जगह पर एक स्थायी कैंप बनाने का फैसला किया है। यहां नक्सलियों द्वारा बिछाए गए लैंड माइंस में कई बार झारखंड पुलिस और सुरक्षा बल चपेट में आए हैं। 2018 में जब पुलिस ने बूढ़ा पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश की थी तो नक्सलियों ने लैंड माइन ब्लास्ट किया था।इस ब्लास्ट की चपेट में कई पुलिसकर्मी आए थे।साल 2021-22 में बूढ़ा पहाड़ आखिरी धावे के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों ने रणनीति बनाई थी।इसके तहत पहले बूढ़ा पहाड़ के तराई वाले इलाकों में सुरक्षा बलों ने कैंप स्थापित किया और नक्सलियों पर हमला किया।इसके बाद नक्सली अपने मांद से निकलने को मजबूर हो गए शुक्रवार को झारंखड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हेलिकॉप्टर बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंचा जहां सीआरपीएफ ने कैंप बनाया है।दरअसल पर्वतों को पार करके भी बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंचना अभी भी आसान नहीं है।यहां या तो हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है या फिर चॉपर के सहारे या फिर यहां के स्थानीय ग्रामीणों की तरह नंगे पांव।यहां के ग्रामीण कई घंटे चलकर सीएम को सुनने पहुंचे थे।सीएम सोरेन ने कहा है कि यहां के लोगों को बंदूके नही बल्कि सरकार की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। इस योजना की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने कहा है कि 100 करोड़ रुपए की परियोजना से गढ़वा टिहरी क्षेत्र के 11 और लातेहार में ऑक्सी पंचायत के 11 ग्राम को पूरी तरह लाभ होगा । इस धनराशि से शासन द्वारा 175 योजनाएं प्रारंभ की गई है। यहां पहुंचे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्षेत्रवासियों को भरोसा देते हुए कहा कि आप लोग विकास से जुड़ें, योजनाओं का लाभ उठाएं ।यदि आवश्यकता पड़ी तो उनकी सरकार इस राशि को बढ़ाकर 500 करोड़ तक करने में कोई हिचक महसूस नहीं करेगी।
ब्यूरो रिपोर्ट= जयपाल सिंह यादव ,दानिश खान

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