new delhi news सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला:-

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New Delhi news भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने का अधिकार मूल मालिक को ही है, बाद में खरीदी गई जमीन का मालिक नहीं दे सकता अधिग्रहण को चुनौती

नई दिल्ली (द एंड टाइम्स न्यूज़) 8 मई 2023
साभार:-
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमआर शाह एवं न्यायाधीश अहसानुउद्दीन अमानुल्लाह की अदालत में दिल्ली विकास प्राधिकरण( डीडीए ) द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने का अधिकार सिर्फ जमीन के मूल मालिक को ही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि जमीन किसी ने बाद में खरीदी है, तो ऐसे व्यक्ति को उस जमीन के अधिग्रहण को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। पीठ ने शिवकुमार(सुप्रा)और गॉडफ्रे फिलिप्स (आई) लिमिटेड( सुप्रा) के मामले में आए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि बाद के जमीन खरीददार के पास अधिग्रहण को चुनौती देने या अधिग्रहण की प्रक्रिया को समाप्त घोषित करने की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है ।पीठ ने स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार सिर्फ जमीन के मूल मालिक को ही अधिग्रहण को चुनौती देने का अधिकार है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया। जिसमें बाद में जमीन खरीदने वाले की याचिका पर अधिग्रहण की प्रक्रिया को समाप्त मान लिया गया था। खंडपीठ ने कहा कि ऐसा लगता है, मानो उच्च न्यायालय में फैसला देते समय उसने भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा पेश उन तथ्यों को देखा ही नहीं, उन्हें दरकिनार कर दिया गया। जिसमें कहा गया है कि संबंधित जमीन पर 12 जुलाई 2004 को ही कब्जा हो चुका था। इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय पीठ ने कहा कि यहां फैसला देते समय उच्च न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा पेश तथ्यों की भी अनदेखी की गई। जिसमें बाद के जमीन खरीददार दिखाए गए है। ऐसी स्थिति में उन्हें अधिग्रहण को चुनौती देने या अधिग्रहण प्रक्रिया को समाप्त घोषित करने की मांग करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि कानूनी प्रावधानों और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले को कानूनी तौर पर उचित नहीं माना जा सकता है। और ऐसे में उसे रद्द किया जाता है। यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डीडीए द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तब पहुंचा, जब उच्च न्यायालय ने नरेंद्र कुमार जैन तथा अन्य के मामले में पारित उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में डीडीए द्वारा अपील दायर की गई थी। इसी मामले में उच्च न्यायालय ने अपील कर्ता जैन व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 की धारा 24(2 )के अधिग्रहण प्रक्रिया को ही समाप्त मान लिया था। किंतु सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका के बाद स्थिति बिल्कुल पलट गई। तमाम कानूनी प्रक्रियाओं के बाद विद्वान न्यायाधीशों ने अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद डीडीए के पक्ष में कानून सम्मत निर्णय दे दिया।

ब्यूरो चीफ जयपाल सिंह यादव,दानिश खान

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