रूस – यूक्रेन में जारी घमासान युद्ध के बीच भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर लगभग 25 मिनट तक लंबी बातचीत

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– प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों तथा छात्रों की सुरक्षा एवं उन्हें भारत लाने की स्थित पर भी चर्चा की
नई दिल्ली 25 फरवरी 2022
यूक्रेन तथा रूस के बीच पिछले कई महीनों से तनाव जारी था। जो अब भीषण युद्ध की शक्ल में बदल चुका है। जिसे लेकर पूरी दुनिया के सभी देशों में चिंता व्याप्त होती जा रही है । युद्ध के हालात अब ऐसे हो चुके हैं । गोलाबारी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तो वही मिसाइलें रॉकेट के साथ ही एयर स्ट्राइक से मरने बालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसी विषम पर स्थित के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर लगभग 25 मिनट तक लंबी वार्ता की ,समझा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति बनाए रखने के साथ ही संयम बरतने की बात व्लादिमीर पुतिन से कहते हुए अपने देश भारत के यूक्रेन में फंसे नागरिकों तथा छात्रों को वहां से सुरक्षित भारत वापस लाने पर भी मंत्रणा की है।
समाचार न्यूज़ एजेंसी के हवाले से दी गई एक सामान्य सूचना के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार -राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री को यूक्रेन के संबंध में हाल के घटनाक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लंबे समय से दृढ़ विश्वास को दोहराया कि रूस और नाटो समूह के बीच मतभेदों को केवल ईमानदार बातचीत के माध्यम से ही सुलझाया जा सकता है।. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति की अपील करते हुए हिंसा की तत्काल समाप्ति की अपील की ,और राजनयिक वार्ता के रास्ते पर लौटने के लिए सभी पक्षों से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया.।
प्रधान मंत्री ने यूक्रेन में भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों की सुरक्षा के संबंध में भारत की चिंताओं के बारे में रूसी राष्ट्रपति को भी अवगत कराया और बताया कि भारत उनकी सुरक्षित स्वदेश वापसी और भारत लौटने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।. दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की, कि उनके अधिकारी और राजनयिक दल सामयिक हित के मुद्दों पर नियमित संपर्क बनाए रखेंगे।.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पीएम मोदी की बातचीत से पहले विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा कि यूक्रेन में भारतीयों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है.। उन्होंने कहा कि पोलैंड के रास्ते यूक्रेन में फंसे भारतीय अपने देश सुरक्षित रूप से लौट सकेंगे.।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक की अध्यक्षता की।. बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हरदीप पुरी और एनएसए अजित डोभाल समेत कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.। पोलैंड और यूक्रेन की सीमा पर भारतीय दूतावास ने कैंप बनाए हैं।.
दुनिया भर के कई देश रूस की यूक्रेन में की जा रही कार्रवाई की निंदा कर रहे हैं।. वहीं यूक्रेन की राजधानी कीव में कर्फ्यू लगा दिया गया है।. यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी सेना चेर्नोबल के न्यूक्लियर प्लांट पर कब्जा करना चाहती है।. उन्होंने कहा कि हम जान देकर रक्षा कर रहे हैं.।
रूस और यूक्रेन के दावे अलग-अलग हैं।. रूस का कहना है कि वो सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा है।, वहीं यूक्रेन का कहना है कि रूस के हमले में आम लोग भी मारे जा रहे हैं।. यूक्रेन के साथ चल रहे रूस के युद्ध का क्या भारत पर भी कोई असर पड़ सकता है।, इसको लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी। इसलिए फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।. अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश रूस पर लगातार प्रतिबंध लगा रहे हैं। वैश्विक पटल पर रूस भारत का अन्य किसी देश की अपेक्षा सबसे ज्यादा पुराना और विश्वसनीय साथी देश है। इसी विश्वास के चलते रूस ने भारत को असाल्ट राइफल से लेकर जंगी विमान ,लड़ाकू हेलीकॉप्टर, युद्धपोत के साथ ही परमाणु युक्त आधुनिक पनडुब्बी जैसे रक्षात्मक रूप से उपयोग में आने वाले साजो सामान उपलब्ध कर आए हैं। इतना ही नहीं रूस ही वह देश है । जिसने भारत से मित्रता का निर्वाह करते हुए कई मौकों पर भारत का संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे विश्व मंच पर भी भारत का साथ दिया है। वैसे तो अमेरिका आदि नाटो सदस्य रूस पर अब तक प्रतिबंध लगाने की ही बात कह रहे हैं। और लगा भी रहे हैं । लेकिन यूक्रेन को सीधे सैन्य शक्ति उपलब्ध कराने के प्रश्न पर अभी नाटो की अनिश्चितता बनी हुई है। उधर रूस के यह कहने पर कि यदि उसके कार्य में कोई तीसरा हस्तक्षेप करेगा, तो उसके लिए वही खुद जिम्मेदार होगा इससे साफ हो रहा है कि रूस ने अपनी रणनीति के तहत जो कदम उठाया है ।उससे अब वह पीछे एक कदम भी हटने को तैयार होता दिखाई नहीं दे रहा है। फिर भी यदि नाटो ने या किसी अन्य देश ने इस मामले में सीधे युद्ध को प्रभावित किया या सैन्य सहायता दी। तो ऐसी स्थिति में जानकारों का मानना है कि तीसरे विश्वयुद्ध का भी खतरा बढ़ सकता है। शायद इसीलिए दुनिया के सभी देश इस मामले में चिंता जाहिर करते हुए सीधे हस्तक्षेप करने से परहेज कर रहे हैं।

 

ब्योरो रिपोर्ट

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